हिमाचल: अगले दो महीनों तक वेतन भत्ते नहीं लेंगे मुख्यमंत्री, मंत्री और सीपीएस, जानें पूरा मामला

Anil Kashyap
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न्यूज अपडेट्स 
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री, मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों के वेतन-भत्ते दो महीने के लिए विलंबित होंगे। यानी बाद में मिलेंगे। विधायकों ने भी ऐसा करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार को हिमाचल विधानसभा सदन को इस संबंध में प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की विषम वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों व मुख्य संसदीय सचिवों सहित अपने वेतन-भत्ते दो माह तक विलंबित करने का फैसला लिया है। इसके अतिरिक्त आप सभी सदस्यों से भी अपने वेतन एवं भत्ते स्वेच्छा से विलंबित करने का आग्रह करता हूं। सीएम ने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इसके कई कारण हैं। राजस्व घाटा अनुदान जो वर्ष 2023-24 में 8,058 करोड़ रुपये  था।  इस वर्ष 1,800 करोड़ कम होकर 6,258 करोड़ रुपये हो गया है।

अगले वर्ष (2025-26) में यह 3,000 करोड़ रुपये और कम होकर 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगी। पीडीएनए की लगभग 9,042 करोड़ रुपये की राशि में से केंद्र सरकार से अभी तक कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है। एनपीएस एनपीएस अंशदान  के लगभग 9,200 करोड़ रुपये पीएफआरडीए से प्राप्त नहीं हुए हैं, जिसका हम केंद्र सरकार से कई बार अनुरोध कर चुके हैं। जीएसटी मुआवजा जून 2,022 के बाद मिलना बंद हो गया है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2,500-3,000 करोड़ की आय कम हो गई है। ओपीएस बहाल करने के कारण हमारी उधार भी लगभग 2,000 करोड़ से कम कर दी गई है। इन परिस्थितियों से पार पाना आसान नहीं है। सीएम ने आगे कहा कि हमने प्रदेश सरकार की आय बढ़ाने और अनुत्पादक व्यय कम करने का प्रयास किया है। इन प्रयासों के परिणाम आने में समय लगेगा। 

प्रदेश की विषम वित्तीय स्थिति के लिए पिछली भाजपा सरकार जिम्मेदार

सीएम सुक्खू विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पिछले पांच साल पूर्व भाजपा सरकार ने जिस प्रकार से सरकारी खजाने को लुटाया वह शर्मनाक है। प्रदेश की विषम वित्तीय स्थिति के लिए पिछली भाजपा सरकार जिम्मेदार है। अभी जो वित्तीय स्थिति है, पहले कभी प्रदेश में नहीं हुई।  हमारे आर्थिक प्रबंधन से आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। राजस्व बढ़ाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। मैं चाहता हूं कि प्रदेश के सभी वर्गों, अधिकारियों और कर्मचारियों का इसमें सरकार को सहयोग मिले। अगले वित्तीय वर्ष में सरकार आर्थिक हालात पर काबू पाने में कामयाब हो जाएगी। 

सुक्खू ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं। आज मैं मुख्यमंत्री हूं, कल कोई और होगा। लेकिन, प्रदेश को वर्तमान वित्तीय हालात पर नहीं छोड़ा जा सकता। आर्थिक हालात ठीक करने के लिए कड़े निर्णय लेने ही होंगे, तभी युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा और रोजगार मिलेगा। हम अपनी सुधरी अर्थव्यवस्था पर ब्रेक नहीं लगा सकते, इसलिए और आर्थिक सुधारों की ओर आगे बढ़ रहे हैं। दो महीनों तक हमने वेतन-भत्ते नहीं लेने का फैसला लिया है।  हमने सभी अधिकारियों को डीए और एरियर का बकाया देना है। आर्थिक स्थिति सुधरते ही इस पर निर्णय लेंगे।

बड़े होटलों की एक रुपये बिजली सब्सिडी बंद

सीएम ने कहा कि हमने आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए बड़े होटलों की एक रुपये बिजली सब्सिडी बंद कर दी है। बीते कल यह निर्णय लिया गया है।  पूर्व भाजपा सरकार ने शराब ठेकों के आवंटन में पांच साल में मात्र 665 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। जबकि कांग्रेस सरकार ने एक साल में ही ठेकों की नीलामी नए सिरे से कर 485 करोड़ रुपये की कमाई की है। भाजपा सरकार में रहे आबकारी मंत्री को जवाब देना चाहिए कि पांच साल में ठेकों की नीलामी क्यों नहीं हुई? क्यों ठेके रिन्यू किए जाते रहे। क्या यह महा घोटाला नहीं था।

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