Enforcement Directorate: CM सुक्खू के दो करीबी करोड़ों के घोटाले में शामिल, सरकार के खजाने को करोड़ों का नुकसान

News Updates Network
0
न्यूज अपडेट्स 
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के प्रमुख सहयोगियों ज्ञान चंद और प्रभात चंद को राज्य में करोड़ों रुपये के घोटाले में शामिल पाया है। सूत्रों के अनुसार, ईडी और आयकर विभाग को ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो उनकी संलिप्तता को उजागर करते हैं। कहा जाता है कि सुखू सरकार ने खुलेआम उनका पक्ष लिया, जिससे राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

ईडी ने 4 जुलाई को कांगड़ा के ज्वालामुखी तहसील के अधवानी गांव में मेसर्स जय मां ज्वाला स्टोन क्रशर और उसके मालिक ज्ञान चंद और अन्य संबंधित व्यक्तियों के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान ईडी को हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के बारे में आपत्तिजनक जानकारी मिली। एफआईआर, शिकायतों और फील्ड से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर ईडी ने पीएमएलए जांच शुरू की और 4 जुलाई, 2024 को कांगड़ा के ज्वालामुखी तहसील के अधवानी गांव में मेसर्स जय मां ज्वाला स्टोन क्रशर और उसके मालिक ज्ञान चंद के संबंधित परिसरों में तलाशी ली।

सूत्रों ने बताया कि तलाशी के दौरान ईडी को हिमाचल प्रदेश राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के संबंध में सबूत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार जांच के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि ज्ञान चंद एक स्थानीय प्रभावशाली व्यवसायी और राजनीतिक रूप से समृद्ध व्यक्ति है जो जिला कांग्रेस कमेटी का सदस्य है। उन्हें हिमाचल के मौजूदा सीएम सुक्खू का करीबी माना जाता है। वह मेसर्स जय मां ज्वाला स्टोन क्रशर के मालिक हैं। ईडी की जांच में पता चला है कि हालांकि स्टोन क्रशर के पास वैध लाइसेंस है, लेकिन यहां बड़े पैमाने पर विसंगतियां उजागर हुई हैं। विसंगतियों के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार सूत्रों ने बताया कि नदी तल पर ही खनन किया जा रहा है।

दूसरा, ईडी के अनुरोध पर स्थानीय खनन अधिकारियों को बुलाया गया और उन्होंने सर्वेक्षण करके यह भी सत्यापित किया कि लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र के बाहर बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। तीसरा, खनन सामग्री की बड़े पैमाने पर नकद बिक्री की जा रही है। चौथा, अन्य क्षेत्रों से अवैध रूप से खनन की गई सामग्री को भी बिना वैध परिवहन परमिट के लाया और बेचा जा रहा है और बड़े पैमाने पर नकद लेनदेन किया जा रहा है। पांचवां, यहां बड़े पैमाने पर खनन ने यहां के पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया है।

सूत्रों ने कहा कि एनआरएसए के ऐतिहासिक मानचित्रों से तुलना करने पर पता चलेगा कि अकेले इस इकाई द्वारा सैकड़ों करोड़ रुपये का अवैध खनन किया गया है। छठा, यहां रात में भी खनन कार्य किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, ईडी को नकद लेनदेन, एक ही खाते में 8 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध नकदी जमा करने और जमीन के सौदों में नकदी के इस्तेमाल के सबूत मिले हैं।

सूत्रों के अनुसार, ज्ञानचंद और उनके परिवार को राज्य सरकार से सड़क निर्माण आदि के कई टेंडर भी मिले हैं। ये टेंडर बेनामी नामों से हासिल किए गए हैं। इन टेंडरों में अवैध खनन सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अवैध लाभ कमाने के लिए बेनामी शेल संस्थाओं के नाम पर फर्जी बिल तैयार किए जाते हैं। स्थानीय अधिकारी बिना किसी गुणवत्ता जांच के कामों को मंजूरी दे रहे हैं और ज्ञान चंद को हस्ताक्षरित खाली निरीक्षण रिपोर्ट दे रहे हैं।

इसके अलावा ज्ञान चंद और राजीव सिंह (हिमाचल के सीएम के भाई) ने भी अवैध खनन के लिए आसपास की जमीनों पर कब्जा कर लिया है। सूत्रों ने आगे बताया कि निचले स्तर के सरकारी अधिकारी इस क्षेत्र के बड़े पैमाने पर हो रहे दोहन पर आंखें मूंदे हुए हैं और संदिग्धों के साथ सक्रिय रूप से मिलीभगत कर रहे हैं। यह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र अब क्षेत्र के अवैज्ञानिक दोहन के कारण भूस्खलन का शिकार हो रहा है।

सूत्रों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश आयकर, आबकारी और सिविल ठेकेदारों द्वारा की जा रही जांच में पाया गया है कि प्रभात चंद, उनके दामाद सौरभ कटोच और अजय कुमार सीएम सुक्खू और उनके रिश्तेदारों के भारी नकदी और बेहिसाब लेन-देन को संभाल रहे हैं। इस मामले में एपीआर कंस्ट्रक्शन कंपनी नामक फर्म पर रसीदों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी करने का संदेह है।

सूत्रों के अनुसार हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण के लाभार्थियों में अजय कुमार के साथ प्रभात कुमार भी शामिल थे। इनके द्वारा जमीन खरीदी गई थी। जमीन 2015 में 2,60,000 रुपए में खरीदी गई थी, जिसे 2024 में एचआरटीसी ने 6.72 करोड़ रुपए में अधिग्रहित कर लिया। ऐसे में आरोप है कि यह सरकारी खजाने को लूटने की योजना थी और बेहद ऊंची दरों पर जमीन खरीद कर अधिग्रहण किया गया।

सूत्रों ने बताया कि कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (ओटीएस) के तहत यह नकद समझौता किया गया है। इस नकद भुगतान को सुगम बनाने के लिए जिस मुख्य व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है, वह विक्की हांडा है जो हमीरपुर का एक प्रसिद्ध जौहरी है और उस पर इस कथित धोखाधड़ी वाली ओटीएस योजना में शामिल होने का संदेह था।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top