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बिलासपुर, 17 दिसंबर: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार का गठन होने के बाद पहली बार एक वर्ष बीत जाने पर बिलासपुर जिला के एकमात्र कांग्रेसी विधायक को सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर बिलासपुर का नाम ऊंचा किया है जाहिर है कि कांग्रेस सरकार बनने के एक साल के इंतजार के बाद जिला बिलासपुर को सुक्खू मंत्रिमंडल में जगह मिल ही गई। जिले से कांग्रेस के एकमात्र विधायक और सीएम सुक्खू के करीबी राजेश धर्माणी के रूप में लगभग 16 साल बाद बिलासपुर को मंत्री पद मिला है। 2007 तक नयनादेवी से रामलाल ठाकुर बतौर वन मंत्री रहे।
सरकार के एक साल के जश्न के कार्यक्रम के बाद तय हो गया था कि धर्माणी को मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया जाएगा। धर्माणी के पास संगठन में भी काम करने का अच्छा खासा अनुभव है। 2012 में जीत हासिल करने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार में धर्माणी को मुख्य संसदीय सचिव का पद दिया गया। वीरभद्र सिंह ने उन्हें वन विभाग के साथ अटैच किया था।
वीरभद्र सिंह और राजेश धर्माणी के बीच हमेशा सियासी शीत युद्ध चलता रहा। दोनों नेताओं ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया, लेकिन धर्माणी खुद को पद के साथ शक्तियां न दिए जाने पर अकसर नाराज रहे। धर्माणी ने नाराज होकर पहले 2 अक्तूबर 2013 को मुख्य संसदीय सचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव में नुकसान न हो, इसके लिए उन्होंने 4 अक्तूबर 2014 को इस्तीफा वापस ले लिया था। 10 मई 2014 को एक बार फिर सीपीएस का पद छोड़ दिया था। धर्माणी हमेशा अपने सिद्धांतों के पक्के रहे, उन्होंने सीपीएस रहते हुए भी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया।
बिलासपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में लोकप्रिय है राजेश धर्माणी: कांग्रेस पार्टी के बिलासपुर जिला से एकमात्र विधायक राजेश धर्माणी बिलासपुर में तो लोकप्रिय हैं ही लेकिन पूरे प्रदेश में उनकी लोकप्रियता का सिक्का चलता है। इसका पता शनिवार को उसे समय लगा जब धर्माणी शिमला से बिलासपुर और घुमारवीं की ओर प्रस्थान किया। उनका बिलासपुर में पहुंचने का समय 11:30 बजे निश्चित किया गया था लेकिन वह अपने निर्धारित समय से लगभग 2 घंटे देरी से बिलासपुर पहुंचे। इस दौरान बिलासपुर जिले की सीमा राजघाटी में कार्यकर्ताओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। उसके उपरांत नमहोल, ब्रह्मपुखर, नौणी चौक मंडी मानवा तथा लखनपुर होते हुए वह बिलासपुर पहुंचे थे। इन सभी स्थानों पर कार्यकर्ताओं ने धर्माणी का स्वागत किया।
बिलासपुर की धरती पर कदम रखते ही उन्होंने सबसे पहले बिलासपुर के आराध्य देव बाबा नाहर सिंह के मंदिर में जाकर माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद परिधि गृह में इतनी अधिक भीड़ थी की परिधि गृह के प्रांगण से कमरे तक पहुंचने में उन्हें आधे घंटे का समय लग गया। बिलासपुर से चलने के बाद चांदपुर कंदरौर और भगेड में उनका भव्य स्वागत हुआ। उसके उपरांत घुमारवीं में अपने घर पहुंचने पर भी कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़ों के साथ अपने प्रिय नेता का स्वागत किया।