शिमला, 23 जून : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) की जल्द संभावना जताई जा रही है। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। इसमें तीन मंत्री शामिल किए जा सकते हैं। सुक्खू के दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress National President Mallikarjun Kharge) सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाईकमान से सुक्खू को मंत्रिमंडल विस्तार की हरी झंडी मिल गई है। नए मंत्रियों (new ministers) की तैनाती के साथ निगमों-बोर्डों में खाली चल रहे अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के पदों पर भी पार्टी नेताओं की नियुक्ति होगी। मंत्रिमंडल विस्तार में कांगड़ा और बिलासपुर (Kangra and Bilaspur) को तरजीह मिलने की संभावना है। सबसे बड़े जिला कांगड़ा में अभी चंद्र कुमार ही एकमात्र मंत्री हैं। इस जिले से सुधीर शर्मा और यादविंदर गोमा का नाम मंत्रियों की दौड़ में है।
यादवेंद्र गोमा का दावा इसलिए मजबूत माना जा रहा है कि क्योंकि पहले चरण के कैबिनेट विस्तार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अनुसूचित जाति कोटे (scheduled caste quota) से कम से कम दो मंत्री बनाने को कहा था। इस कोटे से अभी धनीराम शांडिल के तौर पर ही एक मंत्री है। ऐसे में दूसरे कोटे से यादवेंद्र गोमा को सुक्खू मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। मुख्यमंत्री सुक्खू यदि जातीय समीकरण को ज्यादा तरजीह नहीं देते तो धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। ब्राह्मण कोटे से सुक्खू मंत्रिमंडल (Sukhu Cabinet) में अभी केवल उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ही हैं। सुधीर को जगह मिली तो सुक्खू मंत्रिमंडल में वह दूसरे ब्राह्मण होंगे।
इसके अलावा बिलासपुर जिले को भी मंत्रिमंडल में अधिमान मिल सकता है। इस जिले से राजेश धर्माणी मंत्री बनाए जा सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री के गृह जिला हमीरपुर से राजेंद्र राणा का नाम भी मंत्री के प्रबल दावेदारों में है। भाजपा से कांग्रेस में आए राजेंद्र राणा सुजानपुर सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव (assembly elections) में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हराकर सियासी सनसनी फैला दी थी। राजेंद्र राणा कांग्रेस के कदावर नेता रहे वीरभद्र सिंह के करीबियों में शामिल हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा जाएगा, ताकि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में कांग्रेस को इसका फायदा मिले।