प्लास्टिक का विकल्प तलाशने के लिए नीति तैयार करेगी सरकार, इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सब्सिडी

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शिमला, 06 जून - विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukkhu) ने घोषणा की कि राज्य सरकार प्लास्टिक का विकल्प तलाशने के लिए एक वर्ष के भीतर नीति तैयार करेगी। सरकार उद्योगों को प्लास्टिक के विकल्प के लिए प्रोत्साहित करेगी और प्रदेश में प्लास्टिक पर चरणबद्ध तरीके से पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। उन्होंने सड़क निर्माण में प्लास्टिक (Plastic) के उपयोग पर बल दिया। उन्होंने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रम में संस्कृति और पर्यावरण सम्बन्धित विषयों को सम्मिलत करने पर भी विशेष बल दिया।

मुख्यमंत्री ने लोगों से पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने में सरकार के प्रयासों में सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मौसम में बदलाव के दृष्टिगत देश में जल संकट बढ़ रहा है और कई राज्य हिमाचल से अधिक पानी की मांग कर रहे हैं।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इन मामलों का समाधान करने के लिए राज्य सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के लिए धन आवंटित करते हुए हरित बजट (Green Budget)  प्रस्तुत किया है। आगामी तीन वर्षों में सरकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण अनुकूल परिवहन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में ई-बसों, ई-ट्रकों और ई-टैक्सियों की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान (50 Percent Subsidy)  प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना और परिवहन क्षेत्र में कार्यरत लोगों की आय में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि ग्रीन कॉरिडोर स्थापित करने में हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है और इसके लिए अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को भी प्रोत्साहित कर रही है जिससे निकट भविष्य में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री बताया कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से जल विद्युत परियोजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी को बढ़ाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सतत ऊर्जा नवाचार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में 9 महिला स्वयं सहायता समूहों को डोना-पत्तल मशीनें वितरित कीं और 20 एकल नारियों को सोलर लाइटें प्रदान कीं। उन्होंने मिशन लाइफ का बैच और पोस्टर भी जारी किया।

इस अवसर पर पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के प्रतीक के रूप में मुख्यमंत्री को रिसाइकिल प्लास्टिक से बनी जैकेट भेंट की गई। मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों और अन्य संगठनों की प्रदर्शनी का भी शुभारम्भ भी किया।

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा मुख्यमंत्री का पद संभालने के उपरांत वर्तमान सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जो मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि विकास तथा पर्यावरण संरक्षण में संतुलन आवश्यक है ताकि भविष्य सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन आवरण बढ़ा है, लेकिन कचरा प्रबंधन अभी भी एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का विकल्प बहुत आवश्यक है तथा इसके लिए हमें अपने अतीत में झांकना होगा। 

जीआईजेड के क्लस्टर प्रमुख मोहम्मद अल खवाद ने हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। हिमाचल प्रदेश में इस समस्या के समाधान के लिए जीआईजेड चार प्रमुख परियोजनाओं के माध्यम से इस सक्रिय रूप कार्य कर रहा है। ये परियोजनाएं वन प्रबंधन, आर्द्रभूमि प्रबंधन, जल सुरक्षा और जल प्रबंधन पर केंद्रित हैं। जीआईजेड का लक्ष्य इन पहलों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन निपटना और क्षेत्र में सत्त प्रचलनों को बढ़ावा देना है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की राजदूत दीया मिर्जा ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण दुनिया के हर कोने में पहुंच गया है। हर वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक बाजार में पहुंचता है। इस खतरे से निपटने के लिए सरकार और उद्योगों को मिलकर सोचना होगा। प्लास्टिक मानव शरीर में प्रवेश कर गया है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली सभी संस्थाओं से निरंतर कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि प्लास्टिक का विकल्प तलाश करना अनिवार्य है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक ललित जैन ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ विषय के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है और बेहतर कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए भी पुरस्कृत किया जाता है। इस अवसर पर विधायक हरीश जनारथा, केवल सिंह पठानिया, प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी और नवाचार) गोकुल बुटेल, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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