केंद्र सरकार ने आर.बी.आई के कंधे पर बंदूक रख कर 2000 रुपये के नोट बंद कर दिए। यह केंद्र सरकार के सनकी शासन का परिचय है। यदि यह दो हज़ार के नोट बन्द ही करना था तो पहले चलाया ही क्यों था, कालेधन के नाम पर केंद्र सरकार ने केवल ठगी की है। इससे से तो बेहतर 1000 का नोट था जिसके कारण देश के आर्थिक ढांचे व व्यापारी वर्ग को को लाभ भी मिला था। इस तरह के सनकी फैसले देश के हर वर्ग को झकझोरने वाले होते हैं। पहले काले धन की वसूली के नाम पर नोटबंदी की और 2000 की करंसी देश पर लाद दी।
अब जब केंद्र सरकार कालाधन वसूल पाने में असफल हुई तो अब फिर से कालेधन का बहाना लेकर 2000 का नोट बंद करवाकर देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। अब क्यों नहीं प्रधानमंत्री जी देश की जनता के सामने आकर 2000 रुपए की बंदी देश के सामने एलान कर पाए है।
राम लाल ठाकुर ने बताया कि कुछ लोगों को अपनी गलती देर से समझ आती है। 2000 के नोट मामले में भी ऐसा ही हुआ, लेकिन इसकी सज़ा जनता, अर्थव्यवस्था को भुगतनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री जी को समझना चाहिए कि शासन सनक और मनमानी से नहीं, समझदारी और ईमानदारी से चलता है। राम लाल ठाकुर ने प्रश्न खड़े करते हुए कहा है कि 2000 के नोट पर रोक लगाकर भाजपा अपनी विफ़लताओं से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। उन्होंने पूछा है कि अगर 2000 के नोट पर अब पाबंदी लगाई जा रही है तो इसे 2016 में लाया ही क्यों गया था? प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का गलत इस्तेमाल अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए किया है।
वर्तमान समय में 31 मार्च 2023 को 3.62 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ही 2000 के नोट बाज़ार में चलन में थे। इन नोटों का सर्वाधिक सर्कुलेशन 31 मार्च 2018 को 6.73 लाख करोड़ रुपये था जो कुल नोटों का क़रीब 10 प्रतिशत है। जिसका 10 प्रतिशत सीधा सा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। उन्होंने आर.बी.आई के उस वक्तव्य पर भी कड़ा प्रहार किया है जिसमें आर.बी.आई ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मुद्रा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 2000 के नोट जारी किए गए थे तो क्यों यह तथ्य देश की जनता से छुपाया गया, क्यों यह 2000 के नोट नोटबंदी के 6 माह बाद बंद नहीं किए गए थे।
आज 7 वर्षो बाद क्यों यह नोट बंद कर दिए गए, इसमें भाजपा और केंद्र सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े होते है। जबकि नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार और आर. बी. आई. ने समय-समय पर स्वीकार किया है कि छोटे नोटों की आपूर्ति पूरी कर ली गई है। केंद्र सरकार के वर्ष 2017, अगस्त के वक्तव्य के अनुसार 89 प्रतिशत करंसी पूरी कर ली गई थी। उन्होंने केंद्र सरकार और आर बी आई पर निशाना साधते हुए कहा कि 2000 के नोट कभी भी 'क्लीन' नोट नहीं थे। लोगों ने इस नोट का इस्तेमाल बड़ी संख्या में कभी नहीं किया।
इसका इस्तेमाल सिर्फ़ काले धन को अस्थायी तौर पर रखने के लिए किया गया और यह सारा धन आज भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने सिर्फ चुनावों में इस्तेमाल करके सत्ता हथियाने में किया है। देश के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री ने अब 2000 के नोटों पर रोक लगा दी है। वो पहले लोगों को ये बताएं कि 2016 में 500 और 1000 के नोट पर प्रतिबंध लगाने से कौन सा उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं? देश में कितना कालाधन वसूला गया और औद्योगिक घरानों को कितना लाभ दिलाया गया, जबकि सेलरी, मज़दूर और छोटे व्यापारी और घरेलू बचतों पर सजा प्रभाव प्रतिकूल रहा है।