बिलासपुर: ट्रेडमार्क के कारण कामधेनु दूध, पनीर, घी, दही और घी का नाम बदला

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जिला बिलासपुर के कामधेनु दूध का नाम अब व्यास धेनु हो गया है। बाजार में इसी नाम और नए पैकेट में मिलना शुरू हो गया है। दूध के अलावा दही, पनीर और घी का नाम भी बदल गया है। कामधेनु हितकारी मंच को ऐसा भारत सरकार से ट्रेडमार्क लेने के चलते करना पड़ा है। हालांकि, मिठाइयां और अन्य उत्पाद पुराने नाम पर ही मिलेंगे। 

कामधेनु हितकारी मंच नम्होल पिछले 21 साल से प्रदेश के सात जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी, कुल्लू, सोलन, शिमला, किन्नौर के अलावा चंडीगढ़ में दूध और उससे बने अन्य उत्पाद बेच रहा है। रोजाना 40,000 लीटर दूध सप्लाई किया जाता है। दूध के पहाड़ी क्षेत्र और चंडीगढ़ में 56 रुपये, जबकि मैदानों में 54 रुपये प्रतिकिलो दाम हैं। 

कामधेनु हितकारी मंच ने भारत सरकार को ट्रेडमार्क के पंजीकरण के लिए आवेदन दिया था, लेकिन वहां पहले से ही कामधेनु स्टील का ट्रेडमार्क पंजीकृत था। इसके चलते कामधेनु दूध का पंजीकरण व्यास धेनु के नाम से किया गया।

कामधेनु हितकारी मंच का सालाना करीब 60 करोड़ का टर्नओवर हो गया है। मंच बिलासपुर के 5400 पशुपालकों से दूध इकट्ठा करती है। हर पशुपालक का 10 रुपये शेयर हर माह जाता है। वहीं संस्था के 15 फाउंडर सदस्य हैं। मंच के पदाधिकारी जगदीश कुमार ने बताया कि भारत सरकार में कामधेनु सरिया के नाम से भी ट्रेडमार्क पंजीकृत था।

इस कारण दूसरे नाम से कंपनी को ट्रेडमार्क करना पड़ा। उन्होंने कहा कि मंच के दूध, दही, पनीर और घी के प्रोडक्ट पर ही ट्रेडमार्क का नाम बदला गया है। मंच की मिठाई कामधेनु के नाम से ही मार्केट में आएगी। 

क्या है ट्रेडमार्क 

जब भी हम किसी कंपनी का उत्पाद खरीदते हैं तो उसको खरीदने से पहले हम उस प्रोडक्ट की पहचान के लिए उसका ट्रेडमार्क चेक करते हैं। कई कंपनियां ऐसी होती हैं जो नकली प्रोडक्ट देती है। ट्रेडमार्क वह ब्रांड या लोगो है, जिसका उपयोग कंपनी या संस्था अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग पहचान करने के लिए करती है। कोई भी शब्द, नाम, प्रतीक या डिवाइस एक ट्रेडमार्क हो सकता है। 

ट्रेड मार्क की जरूरत

ट्रेडमार्क एक तरीके से बौद्धिक संपदा अधिकार होता है। किसी वस्तु पर मौजूद ट्रेडमार्क से जाहिर होता है कि यह किसी विशेष कंपनी की ओर से बनाया जा रहा है। कंपनी विशेष के सभी उत्पादों पर उसका ट्रेड लगा होता है।

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