किसानों के लिए काम की खबर, अब देसी गाय खरीदने पर मिलेगी हजारों की सब्सिडी

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चंडीगढ़ | प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सबसे बड़ा फैसला लिया गया है. हरियाणा सरकार ने देसी गाय की खरीद पर 25,000 रुपये तक की सब्सिडी देने का फैसला किया है. इतना ही नहीं प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए किसानों को चार बड़े ड्रम मुफ्त देने की घोषणा की गई है. ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राकृतिक खेती के अभियान को राज्य सरकार ने सफल बनाना शुरू कर दिया है. ताकि जहरीले रसायनों की खेती कम हो. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खान-पान में बदलाव लाना है, इसके लिए हमें भोजन के औषधि होने की धारणा को अपनाना होगा. प्राकृतिक खेती ही एकमात्र रास्ता है.

मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक प्रखंड में एक ‘एक्ज़ीबिशन फार्म’ में प्राकृतिक खेती की जाएगी. ताकि अन्य किसान भी उस खेत से प्रेरणा लें और जहरीली खेती छोड़ दें. इससे खेती की लागत कम होगी किसानों की आय में वृद्धि होगी और लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा.

देसी गाय के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी

यह घोषणा डॉ. मंगलसैन सभागार, करनाल में आयोजित प्राकृतिक खेती पर राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में की गयी. मुख्यमंत्री ने कहा कि पोर्टल पर पंजीकृत 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसान जो स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाएंगे, उन्हें देशी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. सीएम ने कृषि विशेषज्ञों से सीधे बातचीत की और प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के टिप्स दिए.

देसी गाय से बनता है जीवामृत

आपको बता दें कि प्राकृतिक खेती के लिए खाद यानी जीवामृत देशी गाय के गोबर और मूत्र से बनता है. इसलिए हरियाणा सरकार एक नई पहल करते हुए देसी गाय की खरीद पर सब्सिडी देने का काम करने जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विभाग की आत्मा योजना सही मायने में रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से हमारे खेतों में पैदा हो रहे जहरीले अनाज को ठीक करने की आवाज है. सिक्किम देश का पहला राज्य है जो पूरी तरह से प्राकृतिक खेती पर आ गया है. हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी काफी काम किया जा रहा है.

अब किसान प्राकृतिक खेती को समझने लगे हैं

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए हरियाणा सरकार भी केंद्र से जितनी मिलेगी, उससे ज्यादा देगी. उन्हें खुशी है कि किसान अब प्राकृतिक खेती को समझ रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब 1960 के दशक में देश में खाद्यान्न की कमी थी, इसके लिए हरित क्रांति का आह्वान किया गया था, जिससे रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग और देश में खाद्यान्न उत्पादन में कमी आई. अब रासायनिक खादों के प्रयोग से खेत भी जहरीले हो गए हैं और अनाज भी जहरीला हो गया है. इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम न तो जहर बोएंगे और न ही जहर खाएंगे.

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