आरोपी द्वारा निश्चित समय में जुर्माना राशि अदा न करने पर उसे 3-3 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। विशेष लोक अभियोजक वीके चौधरी ने बताया कि घटना वाले दिन पीड़िता अपने ताई के घर गई हुई थी।
जब वह देर शाम तक घर नहीं लौटी तो उसकी माता ने उसके पिता को इसकी सूचना दी। इसके बाद पिता ने अपने रिश्तेदारों के साथ उसकी तलाश अपने स्तर पर की लेकिन उसका कोई पता न चलने पर उन्होंने 22 फरवरी, 2018 को निहरी पुलिस चौकी में रपट दर्ज करवाई।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच अधिकारी पुष्प देव की अगुवाई में पुलिस दल ने पीड़िता और आरोपी को 24 फरवरी को कोलथी जंगल में बरामद किया था। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था।
अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 26 गवाहों के बयान कलमबंद करवाकर आरोपी पर अभियोग साबित किया गया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी पर नाबालिग लड़ने से दुराचार करने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है, जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।