मंगलवार को भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी। कीमत संशोधन में रिकॉर्ड 137 दिन का अंतराल 22 मार्च को कीमतों में 80 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि के साथ समाप्त हुआ। उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले 4 नवंबर से कीमतें स्थिर थीं। इसके बाद से अब तक कच्चे तेल की कीमत करीब 30 अमरीकी डालर प्रति बैरल तक बढ़ गई हैं, जिसके कारण आशंका थी कि अब पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने वाले हैं।
तेल कंपनियां अब घाटे की भरपाई कर रही हैं। CRISIL रिसर्च के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि को झेलने के लिए 15-20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की आवश्यकता है। भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है।