राणा ने सुजानपुर में राजनीतिक कारणों से रोके गए विकास के मुद्दों पर भी बड़ी वकालत करते हुए कहा है कि सुजानपुर में बिजली बोर्ड व जल शक्ति विभाग का डिवीजन खोलना जरूरी है जबकि टौणीदेवी में एसडीएम कार्यालय व बमसन में डिग्री कॉलेज खोला जाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वीकृत बजट के बावजूद पीएचसी चबूतरा के भवन का निर्माण कार्य वर्षों से अटका है। सुजानपुर की सड़कें मुरम्मत के अभाव में हाल-बेहाल हैं।
सुजानपुर के टाऊन हॉल के निर्माण को शुरू नहीं किया जा रहा है जबकि जल जीवन मिशन के तहत भी सुजानपुर से भारी भेदभाव हुआ है। राणा ने कहा कि सुजानपुर में जल जीवन मिशन पर हुए भेदभाव को जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने काफी गंभीरता से लेकर आश्वासन दिया है कि सुजानपुर से जो भी भेदभाव हुआ होगा उसे दूर करते हुए सुजानपुर में पेयजल योजनाओं व जल जीवन मिशन के तहत माकूल बजट दिया जाएगा।
सुजानपुर के विकास के मुद्दे विधानसभा में उठाने के दौरान सबसे अहम व सबसे बड़ी बात यह रही कि आज तक तमाम सियासतदान व सियासी पार्टियां अपनी पैंशन को लेकर कुछ नहीं बोलना चाहते हैं, ऐसे में राणा ने सरकार को घेरते हुए व कर्मचारियों की जबरदस्त पैरवी करते हुए अब प्रदेश में नई बहस शुरू कर दी है कि अगर कर्मचारियों को पैंशन नहीं तो विधायकों व सांसदों को क्यों।
हालांकि यह मुद्दा सोशल मीडिया व आम चर्चा में वर्षों से गर्माता आ रहा है लेकिन यह पहली बार हुआ है कि विधानसभा में किसी विधायक ने इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट मंशा जाहिर की है, जिसको लेकर राणा फिर एक बार राजनीति में आम आदमी की पैरवी के सही पेरोकार साबित हो रहे हैं।