हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता एवम 16 दलित समाज संगठनो केघटक डॉ अमेडकर महासभा के चैयरमेन ओंकार सिंह भाटिया ने पिछले कल शिमला में रुमित सिंह के उस सार्वजनिक बयान पर कड़ी आपत्ति जताई जिसमें उसने कहा कि हिमाचल प्रदेश के 68 विधायक नालायक हैं तथा यह भी कहा कि हिमाचल के सांसद भी नालायक हैं।
यहां तक कि दिल्ली में बैठे सांसदों एवं मंत्रियों तक को गाली गलौज एवं अभद्र भाषा का प्रयोग किया।मोर्चे के प्रवक्ता ओंकार सिंह भाटिया ने जोर देकर कहा कि अपने आप में बहुत दुख का विषय है कि एक व्यक्ति जिसने कभी पंचायत का चुनाव नहीं लड़ा वह चुने हुए विधायकों तथा सांसदों को गाली गलौज कर रहा है उन्हें नालायक आदि शब्दों से सार्वजनिक मंचों पर संबोधित कर रहा है।
भाटिया ने बताया कि प्रदेश सरकार के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के प्रति इस तरह की अभद्र टिप्पणी अपने आप में भारत के संविधान की अबमानना है क्योंकि हम सभी लोग भारत के संविधान के अनुरूप व्यवस्था स्थापित करते हैं जिसमें चुनाव आयोग को भारत के संविधान को अंगीकृत करते ही लागू कर दिया गया था जबकि भारत का संविधान 26 जनवरी को लागू हुआ था।
इस देश में चुनाव की प्रक्रिया भारत के लोकतांत्रिक प्रणाली की आत्मा है जो व्यक्ति चुनावी प्रक्रिया से जीत कर आता है उसे हम माननीय शब्द से संबोधित करते हैं व किसी व्यक्ति विशेष का नहीं अपितु सभी वर्गों के लिए सभी जातियों के लिए सभी धर्मों के लिए तथा सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए माननीय होता है। ऐसे में एक व्यक्ति पिछले 6 महीने से हर मंच पर आकर हिमाचल प्रदेश के माननीय विधायकों तथा माननीय मंत्रियों एवं माननीय मुख्यमंत्री को नालायक कहकर संबोधित कर रहा है।
यह अपने आप में हिमाचल प्रदेश का दुर्भाग्य है। हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि इस तरह के लोगों के ऊपर तुरंत प्रभाव से देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि यह ना केवल चुने हुए प्रतिनिधियों का अपमान है यह तो भारत के संविधान की भी घोर उल्लंघना है जो किसी भी कीमत पर स्वीकार योग्य नहीं है।
यहां तक की माननीय सांसदों को जिनमें एक माननीय सांसद लोकसभा में महत्वपूर्ण मंत्रालयों का मंत्री भी है उन सबको लपेट कर उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने से रुमित सिंह क्या सिद्ध करना चाहते हैं क्या वह इन चुने हुए प्रतिनिधियों से ऊपर है क्या वह सरकार से ऊपर है वह किस क्षमता और हैसियत से इस तरह की घटिया बयान बाजी कर रहा है। यहां तक की प्रदेश सरकार ने सबसे बड़ी गलती तब की थी जब इन संविधान विरोधी तत्वों को अत्याचार निवारण अधिनियम तथा आरक्षण जैसे संवैधानिक मुद्दों पर अर्थी उठाने जैसी घटिया एवं घृणित कार्रवाई करने की इजाजत दी थी।
दलित समाज सेवी संगठनों के बार-बार आग्रह करने के बावजूद प्रदेश सरकार ने इस तरह की यात्राओं को रोका नहीं ओर ना ही समाज विरोधी तथा संविधान विरोधी लोगों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई की गई हालांकि दलित समाज सेवी संगठनों ने बहुत बुद्धिमता से काम लिया और आने वाली सभी परिस्थितियों का समय पर मूल्यांकन किया तथा सामान्य वर्ग और आरक्षित वर्ग आपस में ना लड़े इसके लिए सुनियोजित रणनीति के तहत हमने शांतिपूर्ण तरीके से संवैधानिक मार्ग चुना परंतु कुछ असंवैधानिक तत्वों ने असंवैधानिक रास्ता चुना जिसकी परिणीति पिछले कल शिमला मे देखने को मिली।
हालांकि राजनीतिक दलों का इस सारे नाटकीय घटनाक्रम में अघोषित सहयोग रहा लेकिन जब एक स्वयंभू असंवैधानिक तत्वों ने अपनी मंशा जग जाहिर की तो मुर्दाबाद के नारे तथा संगठनों की दो फाड़ होना स्वाभाविक था क्योंकि जो लोग पार्टी विचारधारा से हटकर दलित विरोधी कट्टरपंथी विचारधारा में शामिल हो गए थे। जब उन्हें पता चला की एक और राजनीतिक दल खड़ा हो रहा है तो फिर वह अपनी आकाओं को क्या मुंह दिखाते।
इस डर के मारे सभी भाग खड़े हुए।इससे एक बात तो स्पष्ट है कि इसमें कट्टरपंथी लोगों का जमावड़ा था जिसे बिखरते देरी नहीं लगी। अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा प्रदेश सरकार से मांग करता है कि जिन्होंने भारत के संविधान के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों को नालायक एवं भद्दी टिप्पणियों से संबोधित किया उनके खिलाफ तुरंत प्रभाव से देशद्रोह का मुकदमा दायर करे।