उम्मीद है कि यह बजट लोक-लुभावना होगा. हालांकि, सरकार का खजाना खाली है करीब 62 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हिमाचल पर है. ऐसे में कर्ज लेकर घी पीने वाली सरकार कैसे सभी वर्गों को खुश करती है, इसका पता 4 मार्च को चलेगा.
हिमाचल में चुनावी साल है. इसलिए अब प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे उठ रहे है. सरकार पर सबसे ज्यादा दबाव 2002 के बाद भर्ती कर्मचारियों की पेंशन को लेकर है. ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली को लेकर आंदोलन चल रहा है. मंडी से पदयात्रा निकाली जा रही है. जो कि चार मार्च को शिमला पहुंचेंगी और विधानसभा के बाहर प्रदर्शन होगा. सीएम जयराम ठाकुर पर दबाव रहेगा, क्योंकि कांग्रेस यह कह चुकी है कि सरकार बनते ही ओल्ड पेंशन को लागू किया जाएगा. राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने भी इसकी घोषणा कर दी है.
दिहाड़ी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाकर सरकार चुनावी साल में वृद्ध, विधवाओं, दिव्यांगों को तोहफा दे सकती है. साथ ही हिमाचल में आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर पॉलिसी नहीं बन पाई है, लेकिन सरकार पॉलिसी बनाने की बात कह चुकी है, कमेटी बनी है. बजट में ऑउटसोर्स कर्मियों को लेकर पॉलिसी की घोषणा की भी उम्मीद जताई जा रही है. प्रदेश में लगभग 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जो विभिन्न विभागों में इनकी सेवाएं निजी कंपनियों के माध्यम से ली जा रही हैं. अनुबंध से रेगुलर होने वाले कर्मचारियों पर दो साल का राइडर हटाने, SMC टीचर, कंप्यूटर टीचर, ग्राम रोजगार सेवक, जल रक्षक इत्यादि के लिए बजट में बड़े ऐलान संभव हैं.
हिमाचल में बेरोजगारों का आंकड़ा लगभग 14 लाख है. ऐसे में जयराम ठाकुर इस बार बजट में इनके लिए बड़ी घोषणाएं कर सकते हैे. विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को भरने का भी मुख्यमंत्री ऐलान कर सकते है. इसके अलावा, किसान और बागवान खाद, बीज, दवाइयों, एंटी हेल नेट, एंटी हेल गन, विभिन्न कृषि उपकरणों पर अनुदान की मांग कर रहे हैं. चुनावी साल में जयराम के पिटारे से सौगात की घोषणा तय मानी जा रही है.