हिमाचल में खनन माफिया किस हद तक हावी है और कानून के खिलाफ अवैध निर्माण बहुत बुरी तरह हावी है। तथाकथित ठेकेदार करोड़ों का अवैध खनन करके अपने घर भर रहे है। प्रशासन, पुलिस और सरकार इन मामलों पर चुपी साधे बैठे है। जबकि ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल व सख्त कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है।
एनजीटी हिमाचल में वनों को बचाने के लिए कई बार आदेश दे चुका है। लेकिन धरातल पर स्थिति बेहद खतरनाक है। खनन माफिया लगातार खनिज संपदा का दोहन कर मनमानी कीमतों पर बेच रहा है। मुख्यमंत्री के गृह जिले मंडी में सरकार, प्रशासन और पुलिस इस कालाबाजारी पर रोक लगाने में पूरी तरह से असक्षम नजर आ रही है।
ऐसा ही ताजा मामला मंडी के नाचन क्षेत्र से सामने आया है। जहां चैल चौक बाजार से कुछ सौ मीटर की दूरी पर वन विभाग की भूमि पर करोड़ों का अवैध खनन हो गया, कई पेड़ काटे जा चुके है लेकिन वन विभाग को कानों कान खबर नही है। ना तो यहां किसी तरह से अवैध खनन वालों पर रोक लगाई गई और ना ही उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही अमल में लाई गई।
जानकारी के मुताबिक यहां विधायक विनोद कुमार तीन अलग अलग सरकारी प्रोजेक्ट पूरे करवाने में लगे हुए है। जिसकी आड़ में यहां खुले आम अवैध खनन और पेड़ों को काटा जा रहा है। इस बारे जब डीएफओ गोहर से बात की गई तो उनका कहना था कि इस बारे उनको कोई जानकारी नही है।
उन्होंने कहा कि वहां फायर ब्रिगेड विभाग की 29 बीघा जमीन है। लेकिन जहां पर फायर ब्रिगेड के लिए इमारत बनाई जा रही है उस स्थान से अवैध खनन काफी दूरी पर हो रहा है।
अब जब यह मामला मीडिया में सामने आ चुका है तो देखना होगा कि प्रशासन, पुलिस और सरकार क्या कार्यवाही अमल में लाते है।