बहन सहित मां व बाप द्वारा यही उम्मीद जताई जा रही थी कि बच्चा सुरक्षित होकर वापस लौट आएगा लेकिन शनिवार को दोपहर बाद सूचना मिली कि जंगल में बच्चे का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला है] ऐसे में बहन के अरमान टूट गए, वहीं मां-बाप सहित रिश्तेदारों के आंसू थमते हुए नजर नहीं आए। पूरे परिवार की दीवाली की खुशियां मातम में बदल गई हैं। आशंका जताई जा रही थी कि शायद कोई 5 साल के बच्चे को उठाकर ले गया होगा और बच्चा वापस मिल भी जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बच्चे का सिर अलग तो शरीर के अन्य अंग अलग मिले हैं।
रोते बिलखते हुई मां बोली कि उसने अपने लाल की अंतिम आवाज नाले में सुनी थी। जब वह नाले में पहुंची तो उसके बाद से उसकी कोई आवाज नहीं सुनाई दी थी। मां का कहना है कि जब देर शाम को बच्चे आंगन में खेल रहे थे तो तभी एकदम बच्चों के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। जैसे ही वह बाहर निकली तो तब तक बेटे को उठा लिया गया था। ऐसे में नाले में बच्चे की आवाज सुनाई दी। जब वह नंगे पांव से नाले की तरफ दौड़ी तो वहां पर कुछ नहीं था। मां के आंसू अब बिल्कुल भी नहीं थम रहे हैं। मां के मुंह से सिर्फ एक ही आवाज आ रही है कि उसका लाल वापस लौटा दो।
जैसे ही बच्चे की हड्डियां मिली तो पिता के होश उड़ गए। पिता ने रोते-बिलखते हुए कहा कि मैं सरकार से कोई मुआवजा नहीं लेना चाहता हूं। उन्हें पहले आशंका थी कि कोई लोग उनका बच्चा उठा कर ले गया है लेकिन अब जब हड्डियां बरामद हुई हैं तो यह पुख्ता हो गया कि ये हड्डियां मेरे बच्चे की ही हैं। अब मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे बेटे को जानवर ने ही खाया होगा।
वन विभाग की कार्यप्रणाली पर अब लोगों के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। यह घटना सामने आने के बाद अब लोगों के मुंह से एक ही बात निकल रही है कि शहर में जितने भी ऐसे प्वाइंट हैं, जहां पर तेंदुए का खौफ है, वहां पर पिंजरे लगाए जाने चहिए, क्योंकि जंगली जानवरों से अब लोगों के बीच काफी ज्यादा डर का माहौल पैदा हो गया है। वन विभाग तभी जागता हुुआ नजर आता है जब कोई घटना सामने आए।
शहर में सबसे ज्यादा तेंदुए का आतंक डाऊनडेल, लक्कड़ बाजार से बड़श व शनान जाने वाला रास्ता, संजौली, नवबहार, फागली, नाभा, शोघी व टूटीकंडी सहित अन्य क्षेत्रों में है। यहां पर कई बार लोगों द्वारा तेंदुआ देखा गया है। वन विभाग को लोग कई बार लोग शिकायतें भी कर चुके हैं। कई बार इन क्षेत्रों में तेंदुए ने अटैक किया है।
डाऊनडेल के लगते जंगल में पुलिस का उसी दिन से सर्च ऑप्रेशन चला था जिस दिन दीवाली की देर शाम को बच्चा लापता हो गया था, लेकिन पुलिस ने खोजी कुत्ता दलों के माध्यम से बच्चे के शव को ढूंढ निकाला है। पुलिस के 60 जवानों के साथ-साथ क्यू.आर.टी., वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी सहित स्थानीय लोग सर्च ऑप्रेशन में डटे हुए थे। आखिर इनकी मेहनत रंग लाई। बच्चे को जिंदा तो नहीं ढूंढ पाई, लेकिन शव को बरामद कर लिया है।
इस घटना को सुनकर लोगों के बीच खौफ पैदा हो गया है। लोगों को डर सता रहा है कि उनके बच्चे को कोई जानवर न ले जाए। शिमला का अधिकतर क्षेत्र जंगल से घेरा हुआ है। ऐसे में यहां पर रात के समय गुजरना काफी मुश्किल है। लोगों द्वारा अब बच्चों को देर शाम को घर से बाहर छोडऩे पर भी डर सता रहा है। शिमला शहर में बीते 7 सितम्बर को भी तेंदुआ एक बच्ची को उठाकर ले गया था, लेकिन अब फिर से एक और घटना आने से लोगों के दिल दहला दिए हैं।
डीएसपी हैडक्वार्टर शिमला कमल वर्मा जंगल में जब सर्च ऑप्रेशन चला हुआ था तो उस दौरान पुलिस को खोपड़ी व हड्डियां मिली हैं। यह खोपड़ी व हड्डियां क्या इसी बच्चे की हैं या फिर किसी और की हैं। इसका पता तो पोस्टमार्टम के बाद ही चल पाएगा। इसको लेकर फोरैंसिक एक्सपर्ट भी जांच कर रही है। जो पुलिस को अवशेष बरामद हुए हैं उसका शीघ्र ही पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। पोस्टमार्टम करने व फोरैंसिक एक्सपर्ट की जांच के बाद ही स्थिति क्लीयर हो पाएगी। अभी यह कहना भी उचित नहीं है कि तेंदुआ ही बच्चे को ले गया होगा।