HP News: Mandi : 7490 नहीं 412949 मतों से हारी है भाजपा : जानिए कैसे: Read More

News Updates Network
0


मंडी : संसदीय सीट मंडी पर हुए उपचुनाव में भाजपा मात्र 7490 मतों से नहीं बल्कि 412949 मतों के अंतर से हारी है। शायद आप सोच रहे होंगे कि इतना अंतर तो आपने न कहीं पढ़ा और न ही कहीं सुना। तो इसके पीछे की कैलकुलेशन हम आपको बताते हैं। हमने हार को जो अंतर बताया है उसमें 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत का वो मार्जिन भी शामिल है जिसका भाजपा ने लंबे समय तक बखान किया था। 

ये भाजपा की वो ऐतिहासिक जीत थी जो भविष्य में शायद ही दोबारा कभी किसी प्रत्याशी की हो। 405459 मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा ने कांग्रेस के प्रत्याशी आश्रय शर्मा को करारी शिकस्त दी थी। मात्र ढाई वर्षों में ही इन लोगों का भाजपा पर से विश्वास उठ गया। हालांकि खुद भाजपा भी यह मानकर चल रही थी कि अगर पहले इतनी अधिक लीड उन्हें मिली थी तो फिर इस बार इसमें आधी कटौती भी हो जाए तो भी उनका प्रत्याशी अच्छे मार्जिन से जीत जाएगा। लेकिन भाजपा शायद भ्रम में रही क्योंकि ये लोग भाजपा सरकार की नीतियों से खफा होकर बदलाव का मन बना चुके थे। 

यही कारण रहा कि भाजपा प्रत्याशी को बढ़त के साथ जीत हासिल करना तो दूर उल्टा हार का सामना करना पड़ा। यही कारण है कि हम भाजपा के पिछले मार्जिन यानी 405459 को भी हार के अंतर में जोड़ रहे हैं। इस लिहाज से भाजपा का हार का अंतर 412949 मतों का हुआ। अब भाजपा को इसपर मंथन करने की जरूरत है कि आखिर उनकी सरकार ने ऐसा क्या किया या फिर क्या नहीं किया जिस कारण इतनी अधिक संख्या में लोग उनसे नाराज हो गए। 

मंडी जिला में हालांकि नाचन विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों से भाजपा को बढ़त मिली है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि मंडी जिला कहीं न कहीं सीएम के साथ चला। लेकिन यह चाल उतनी नहीं थी कि सीएम के मान सम्मान को बरकरार रखा जाए। यदि लोग नाराज होकर वोट डालने नहीं आए और दूसरे दलों को वोट डाल गए तो फिर इस बात पर भी भाजपा सरकार को मंथन करना होगा कि लोगों की नाराजगी का कारण क्या है। 

वहीं, दूसरी तरफ अगर हम भाजपा कार्यकर्ताओं की बात करें तो कार्यकर्ता भी अपनी सरकार की कार्यप्रणाली से नाखुश हैं। बहुत से लोग गाहे-बगाहे इस बात को लेकर चर्चा करते रहते हैं। हालांकि कईयों ने पार्टी प्लेटफार्म पर भी इस बात को रखा है। चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री से लेकर अन्य नेताओं ने रूठों को मनाने की काफी कोशिशें तो की लेकिन ये कोशिशें कहीं पर भी सफल नहीं हुई। नतीजा जो निकला वो सभी के सामने है। अगर 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा सच में मिशन रिपीट के साथ सरकार बनाने की सोच रही है तो इसके लिए जमीनी स्तर पर जाकर काम करना होगा। क्योंकि हवा हवाई बातों से तो भाजपा का आम कार्यकर्ता या कहें नेता भी नाखुश ही दिखाई दे रहे हैं। 

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top