प्रदेश में पहले भी इन्वेस्टर मीट की चर्चा हुई थी। हजारों करोड़ की इन्वेस्टर मीट के बारे में जयराम सरकार ने हिमाचल की जनता से वादे किए थे। सरकार का करोड़ों रुपया उसमें इस्तेमाल किया गया था और उसके बाद करोड़ों रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर भी हुए थे लेकिन आज तक उस इन्वेस्टर मीट का धरातल पर कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।
प्रदेश का युवा आज भी बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है जिस पर जयराम सरकार चुप्पी साधे हुए हैं। पहले किए गए वादे और इन्वेस्टर मीट की बातें महज जुमले निकली। तब से आज तक प्रदेश के किसी युवा को उसका लाभ नहीं पहुंचा। जब अपने ही कार्यकाल में हुई इन्वेस्टर मीट का हिसाब राज्य सरकार नहीं दे पा रही है तो अब किस आधार पर 20 हजार करोड रुपए कि ग्राउंड ब्रेकिंग की बात की जा रही है और प्रधानमंत्री का न्योता दिया जा रहा है। राणा ने कहा कि आधुनिक हिमाचल की शुरुआत कांग्रेस पार्टी द्वारा हुई थी और कांग्रेस हमेशा चाहती है कि हिमाचल प्रदेश का निरंतर विकास हो, यहां का युवा विश्व पटल पर प्रदेश और देश दोनों का नाम रोशन करें और तरक्की भी करें।
प्रदेश का युवा आज भी बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है जिस पर जयराम सरकार चुप्पी साधे हुए हैं। पहले किए गए वादे और इन्वेस्टर मीट की बातें महज जुमले निकली। तब से आज तक प्रदेश के किसी युवा को उसका लाभ नहीं पहुंचा। जब अपने ही कार्यकाल में हुई इन्वेस्टर मीट का हिसाब राज्य सरकार नहीं दे पा रही है तो अब किस आधार पर 20 हजार करोड रुपए कि ग्राउंड ब्रेकिंग की बात की जा रही है और प्रधानमंत्री का न्योता दिया जा रहा है। राणा ने कहा कि आधुनिक हिमाचल की शुरुआत कांग्रेस पार्टी द्वारा हुई थी और कांग्रेस हमेशा चाहती है कि हिमाचल प्रदेश का निरंतर विकास हो, यहां का युवा विश्व पटल पर प्रदेश और देश दोनों का नाम रोशन करें और तरक्की भी करें।
लेकिन तरक्की के नाम पर जनता को मूर्ख बनाना और कागजी कार्रवाई पर बड़े-बड़े नाम लिखकर धरातल पर सारी परियोजनाओं का धराशाई होना बेहद निराशाजनक है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि भूतकाल में की गई इन्वेस्टर मीट की जो बातें थी पहले उन्हें धरातल पर उतारे और उसके बाद ही अगली ग्राउंड ब्रेकिंग या किसी निवेश की बात करें। अभिषेक राणा ने कहा कि यदि धरातल पर कोई परियोजना खरी उतरनी ही नहीं है तो कागजी कार्रवाई में जनता को झूठी तसल्ली देने का क्या मतलब।