मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के अनुबंध कर्मचारियों के नियमितीकरण की अवधि तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष करने की घोषणा की। ये नियमितिकरण बैक डेट यानी 30 सितंबर से होगा। उन्होंने कहा कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, अंशकालिक कामगारों, जल रक्षकों और जलवाहकों आदि के संबंध में नियमितीकरण, दैनिक वेतनभोगी के रूप में रूपांतरण के लिए भी एक-एक वर्ष की अवधि कम की जाएगी। उन्होंने लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों के भुगतान के लिए 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जारी करने की भी घोषणा की। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं कार्मिक प्रबोध सक्सेना ने कार्यवाही का संचालन किया। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर और महासचिव राजेश शर्मा ने कर्मचारियों के मामले सरकार के सामने रखे। मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय गुप्ता, आरडी धीमान और जेसी शर्मा, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, रजनीश और सुभाशीष पांडा, सचिव देवेश कुमार, अमिताभ अवस्थी, डा. अजय शर्मा, अक्षय सूद सहित अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे। (एचडीएम)
7500 करोड़ की घोषणाएं
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जेसीसी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वह ये बैठक पहले करना चाहते थे, लेकिन कोरोना के कारण देरी हो गई। राज्य की वित्तीय स्थितियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वह सभी मसलों को हल करना चाहते हैं और वित्तीय अनुशासन में रहकर रास्ता निकालेंगे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि बैठक में 7500 करोड़ की घोषणाएं की गई हैं। पिछले चार वर्षों में सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के डीए में 22 प्रतिशत की वृद्धि की है और उन्हें 1320 करोड़ का वित्तीय लाभ दिया है। उन्हें 12 प्रतिशत अंतरिम राहत की दो किस्तें भी प्रदान की गईं, जिससे 740 करोड़ का लाभ हुआ है।
50 फीसदी हो जाएगा सैलरी-पेंशन बिल
नया वेतन आयोग देने से सरकार का सैलरी और पेंशन का बिल कुल बजट का 50 फीसदी हो जाएगा। इस साल का सरकार का बजट 50192 करोड़ है। इनमें सैलरी का खर्च 14403 और पेंशन का 7082 करोड़ है। ये बजट का 43 फीसदी है। अब नया वेतन आयोग लागू होते ही ये 50 फीसदी पार कर जाएगा। नया पे स्केल पंजाब आधार पर ही होगा। इसमें कोई रिकवरी नहीं होगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं कार्मिक प्रबोध सक्सेना ने कार्यवाही का संचालन किया और राज्य की वित्तीय स्थिति की एक झलक भी बैठक के दौरान सामने रखी। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के सतत् विकास लक्ष्यों में हिमाचल प्रदेश केरल के बाद दूसरा राज्य है।