इसमें कहा गया है कि कोविड का खतरा अभी कम नहीं हुआ है ऐसे में स्कूलों में खाना बनाने का रिस्क नहीं लिया जा सकता। संक्रमण के डर से शिक्षा विभाग मिड डे मील को नवंबर तक शुरू नहीं करना चाहता। हालांकि अभी तक छात्रों को सूखा राशन घर तक ही पहुंचाया जा रहा है और आगे भी यह व्यवस्था जारी रहेगी। दिवाली के बाद शिक्षा विभाग की केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ रिव्यू बैठक होगी। अगर इस बैठक में मंजूरी दी जाती है, तो फिर उसे शुरू किया जा सकता है। दिवाली के बाद कोरोना के मामले अगर कम हो जाते है, तो ऐसी स्थिति में पहली से लेकर आठवीं तक के छात्रों को स्कूल में ही दोपहर का पका हुआ खाना मिलेगा। (एचडीएम)
राशन न मिलने की शिकायतों पर मांगा रिकार्ड
गौर रहे कि पिछले डेढ़ साल से स्कूलों में छात्रों को दोपहर के खाने की जगह पर सूखा राशन दिया जा रहा है। कई ऐसे भी स्कूल है, जहां पर छात्रों को राशन न मिलने की शिकायतें आ रही है। शिक्षा विभाग ने इस बाबत भी सभी स्कूल प्रबंधन से रिपोर्ट तलब की है। वहीं अभी तक मिड-डे मील का जो रिकॉर्ड तैयार किया है उसके बारे में भी रिपोर्ट मांगी गई है।