न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश विधायक द्वारा जारी डीओ नोट के आधार पर किया गया है जबकि हाईकोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित निर्णयों के दृष्टिगत डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है।
प्रार्थी का यह भी आरोप था कि उसका तबादला सरकार द्वारा स्थानांतरणों पर बैन लगाने के बावजूद किया गया है। न्यायालय ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन कर पाया कि विधायक ने न केवल प्रार्थी के तबादले की सिफारिश की बल्कि कुल 15 कर्मचारियों के तबादलों की सिफारिशें कीं, जिन्हें दुर्भाग्यपूर्ण कम्पीटैंट अथॉरिटी ने बिना प्रशासनिक विभागों की विवेचना के स्वीकार भी कर लिया।
कोर्ट ने पाया कि ये स्थानांतरण आदेश पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते किए गए हैं। न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया।