न्यूजीलैंड से वैज्ञानिक डॉ. परमजीत रंधावा और डॉ. रुपेंद्र बराड़ कंपनी की ओर से कृषि विवि के वैज्ञानिकों के साथ रिसर्च(Research) में हिस्सा लेंगे। सरकार से भी रिसर्च को जल्द हरी झंडी मिलने वाली है। अभी तक भांग का प्रयोग अधरंग (लकवा) की दवाई में किया जाता है, लेकिन लोग इसका प्रयोग ज्यादातर नशे के लिए करते हैं। अब वैज्ञानिक इसका नशे के तत्वों को दूर करके इसके मेडिशिनल तत्व को प्रमोट कर इसके पौधे को नई ब्रीड दी जाएगी।
हिमाचल का मलाणा(Malana) में पाई जाने वाली भांग प्राकृतिक तत्वों से भरपूर है। अभी तक लोग इसका इस्तेमाल अवैध तरीके से नशीले पदार्थों के तस्करी के लिए करते हैं। रिसर्च में अगर मेडिशिनल तत्वों का पता लग जाता है तो लोग इसकी लोग खेती करना शुरू कर देंगे। अभी तक तो इसे नष्ट किया जाता है। ग्रीन लैब कंपनी के डायरेक्टर लोकेश शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सोमवार को पालमपुर में इस रिसर्च के लिए हरी झंडी देंगे।
कोरोना संक्रमण केे चलते रिसर्च का यह कार्य देरी से शुरू हो रहा है। भांग में कई ऐसे कंपाउंड हैं, जो कई प्रकार की दवाओं में इस्तेमाल हो सकते हैं। अभी तक कुछ ही कंपाउंड(Compound) का पता चल पाया है। इसमें अभी कई तत्वों की जानकारी नहीं है। इस पर रिसर्च की जाएगी। उनका मानना है कि अगर वैज्ञानिक इसमें सफल हो जाते हैं तो भारत का नाम विश्व मानचित्र सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा।