आलम ये है कि यहां के लोग आज राशन-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिये मोहताज हो चुके हैं. एम्बुलेंस और बाकी सहूलियतों की आस करना तो अंधों को दिया दिखाने जैसा है. इसी समस्या को लेकर धारकंडी के लोगों ने जिलाधीश कांगड़ा के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर रखा है और इसके पांचवें दिन करीब 198 लोगों ने अपने सर के बाल मुंडवाकर अपना रोष प्रदर्शन किया. दरअसल, इन ग्रामीणों की मानें तो बीते पंद्रह साल से वो सरकार और प्रशासन को आगाह कर रहे हैं कि उन्हें बर्नेट से घेरा तक सुगम रोड (Road) तैयार करके दिया जाये जिसकी लम्बाई महज़ 2 किलोमीटर की है, मगर डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद भी सरकार यहां की जनता के हित में कोई फ़ैसला नहीं ले पाई है. जो रोड आज जलजले की भेंट चढ़ गया है वो भी पॉवर प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान निजी कम्पनी मालिकों ने बनाकर दिया था और वो काफी लंबा भी है.हालांकि, राहत की बात यह है कि अब सड़क निर्माण को फोरेस्ट क्लीरेंस मिल गई है।
रावा पंचायत(Rawa Panchayat) के प्रधान अर्जुन ने बताया कि यहां सरकार चाहे तो इतने से काम को पलक झपकते भी कर सकती है अगर उसमें उनका निजी हित हो तो, मगर यहां बीते पंद्रह सालों से फॉरेस्ट क्लियरेंस(Forest Clearence) ही नहीं मिल पा रही, आज उसी फॉरेस्ट क्लियरेंस करवाने के लिये धारकंडी के लोगों को धरने प्रदर्शन और आमरण अनशन, मुंडन संस्कार और आत्म दाह जैसे कठिन कदम उठाने पड़ रहे हैं. वहीं एसडीएम हरीश गज्जू ने बताया कि इन प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया गया है कि वन विभाग की ओर से तकनीकी तौर पर जो भी सुविधा देने लायक होगी दी जायेगी, इसलिए इन्हें अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए. कांग्रेस नेता के केवल पठानिया ने कहा कि वो लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ही यह सड़क बनवाई थी. लेकिन बाद में दो किमी का एरिया का काम भाजपा ने रोक दिया।