ग्रीष्मकालीन अवकाश पर शिक्षकों ने सवाल उठा दिए हैं। अब शिक्षक अवकाश में पढ़ाई का कोई बोझ नहीं लेना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने सरकार से दो टूक कहा है कि ऐसा अवकाश शिक्षकों को दिया जाए, जिसमें उन्हें छात्रों को पढ़ाने का कोई कार्य न हो। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इतने समय से घर से ही पढ़ा रहे शिक्षक छात्रों को पढ़ाने से क्यों टल रहे हैं। स्कूल प्राध्यापक संघ के राज्य प्रधान केसर ठाकुर, महासचिव संजीव ठाकुर, हेम राज, प्रेम सिंह नरेश ठाकुर ने ग्रीष्मकालीन अवकाश पर सवाल उठाए हैं।
संघ का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाएं निरंतर लग रही हैं। प्राध्यापक पहले की तरह घर-घर पाठशाला के तहत पठन पाठन सामग्री विद्यार्थियों को भेज रहे है और लाइव कक्षाएं पढ़ा रहे हैं। हर रोज वर्क शीट भी चेक कर रहे हैं। कुछ प्रवक्ता दसवीं व जमा दो की परीक्षा परिणाम की तैयारी में रोजाना पाठशाला जा रहे हैं और पाठशाला में परिणाम तैयार कर रहे हैं। बहुत संख्या में अध्यापक कोविड ड्यूटी भी दे रहे हैं।
हर घर पाठशाला में पाठन सामग्री भेजी जा रही है। अध्यापक, प्राध्यापक व विद्यार्थी पूरी तरह व्यस्त हैं, फिर अवकाश का लाभ किसको और कैसे मिल रहा है ये समझ से परे है। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि विद्यार्थी भी लगातार तीन महीने से पढ़ाई कर रहे है। इन्हें भी कुछ दिनों का ब्रेक मिलना चाहिए। संघ प्रमुख केसर ठाकुर ने अगर इसी तरह से पढ़ाई जारी रहती है, तो इस अवकाश के बदले अर्जित अवकाश देने का सुझाव विभाग को दिया है।
हर सप्ताह शिक्षकों को शनिवार, रविवार व सोमवार को क्विज प्रतियोगिता पूरी करवाने के लिए भी कड़ा परिश्रम करना पड़ता है। अध्यापक सप्ताह में एक दिन भी आराम नहीं करते हैं। उन्होंने मांग की है कि दसवीं व जमा दो का परिणाम तैयार करने तक शिक्षकों को अर्जित अवकाश प्रदान किया जाए और उसके बाद विद्यार्थियों व शिक्षकों को राहत प्रदान करते हुए अवकाश दिया जाए।