पीएम को लिखे पत्र में उर्मिला रावत ने कहा कि वह राजकीय प्राथमिक स्कूल सांगना में पिछले 16 सालों से अपनी सेवाएं दे रही है। उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से केवल 87 रूपए का भुगतान किया जा रहा है। इसके साथ उन्होंने बताया कि महंगाई के इस दौर में क्या 87 रूपए में कोई अपने पूरे परिवार का पालन पोषण कर सकता है। जबकि, इस राशि में तो आजकल रिफाइंड भी नहीं मिल पाता है।
उर्मिला रावत ने बताया कि इसी स्कूल में शिक्षक का वेतन 60 से 70 हजार रुपये के बीच है। वहीं, मिड-डे मील वर्कर का मानदेय सिर्फ 2600 रुपए है। जबकि, वह भी स्कूल में सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक अपनी सेवाएं देती हैं। बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने का जिम्मा उसी पर है। इसके बावजूद कर्मचारियों के बीच आर्थिक असमानता बेहद ज्यादा है।
इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि एमडीएम वर्करों का वेतन कम से कम 15 हजार रुपए किया जाना चाहिए। वहीं, प्रधानमंत्री को लिखे खत के अंत में महिला ने यह भी लिखा है कि मैं आशा करती हूं कि आप इस पत्र को पढ़कर इस दिशा में कोई न कोई ठोस कदम जरूर उठाएंगे।