कर्मचारियों व पैंशनर्ज का कहना है कि वे प्रतिकूल हालात में अपनी सेवाएं देने के अलावा कोविड-19 फंड में भी अपना योगदान दे रहे हैं, जिसे देखते हुए इसे रोका जाना उचित नहीं है। वैसे भी डीए का निर्धारण मूल्य सूचकांक यानी बढ़ती महंगाई के साथ होता है।
जिसे सरकार की तरफ से समय-समय पर निर्धारित किया जाता है, ऐसे में डीए रोकना उचित नहीं है। इससे संबंधित फर्जी अधिसूचना को सोशल मीडिया में खूब वायरल किया गया। यहां तक कि सरकारी स्तर पर भी कुछ अधिकारी व कर्मचारी भी इसको सही मानते रहे और देर शाम इसके फर्जी होने की पुष्टि की।